
मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य के महान लेखक-शिवानी जैन एडवोकेट
ऑल ह्यूमंस सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि अंग्रेजों के शासन से मुक्ति ही उनका ध्येय नहीं था। भारतीय जनमानस की वह सार्वत्रिक मुक्ति चाहते थे। उन्होंने भारतीय समाज में सर्वाधिक शोषित तीन तबकों किसान, दलित और औरतों पर अपने लेखन को केंद्रित किया और पूरी पक्षधरता के साथ उनकी मुक्ति के हिमायती बने रहे। ‘रंगभूमि’ (1925) प्रेमचंद का सबसे बड़ा उपन्यास है। सूरदास इस उपन्यास का सबसे गौरवमयी पात्र है। सूरदास एक प्रकार से गांधीजी के अहिंसात्मक आंदोलनों का नायक और उनकी नीतियों के प्रतिनिधि के रूप में पाठकों के बीच पैठ बनाता है।
थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार डॉ कंचन जैन ने कहा कि
हिंदी कथा साहित्य को तलाश में कहानियों के झुरमुट से निकलकर जीवन के यथार्थ की ओर मोड़कर ले जाने वाले कथाकार मुंशी प्रेमचंद देश ही नहीं, दुनिया में विख्यात हुए। कथा सम्राट कहलाए।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, डॉ आरके सिंह, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी, शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन, बीना एडवोकेट आदि ने कहा कि
साहित्य जगत में मुंशी प्रेमचंद का स्थान उस ऊंचाई पर हैं जहां बिरले पहुंच पाए हैं। उनकी कहानियों में ग्रामीण भारत खासतौर पर किसानों की स्थिति का जो वर्णन है वह किसानों की आज की हालत से कोई खास भिन्न नहीं है।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ